युद्ध का यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

ऊर्जा, मुद्रास्फीति और वित्तीय बाजारों पर भू-राजनीतिक तनाव के परिघात का सार।

शुक्रवार, 24 जून 2022

युद्ध का यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

रूस-यूक्रेन संघर्ष ने यूरोप को कई मोर्चों पर चुनौती दी है:

ऊर्जा निर्भरता

यूरोपीय देश रूसी गैस और तेल पर निर्भर थे। आपूर्ति बाधित होने से ऊर्जा की कीमतें बढ़ीं, जिससे उद्योगों की लागत और उपभोक्ताओं के बिल दोनों प्रभावित हुए।

मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति

ऊर्जा और खाद्य कीमतों में तेजी से CPI ऊँचा हुआ। इससे ECB को अपेक्षा से पहले दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा, जिससे उधार लेने की लागत बढ़ी और आर्थिक वृद्धि पर दबाव आया।

वित्तीय बाजार

सुरक्षित परिसंपत्तियों (जैसे अमेरिकी ट्रेज़री, सोना) की माँग बढ़ी जबकि यूरो और स्टॉक्स पर दबाव आया। डिफेन्स, ऊर्जा और कमोडिटी क्षेत्र में अस्थायी अवसर उभरे।

निवेशक कैसे प्रतिक्रिया दें?

  • पोर्टफोलियो में ऊर्जा व भौतिक कमोडिटी की भूमिका का पुनर्मूल्यांकन।
  • मुद्रा जोखिम प्रबंधन (EUR बनाम USD)।
  • उच्च मुद्रास्फीति वातावरण में वास्तविक परिसंपत्तियों और मुद्रास्फीति-संरक्षित बॉन्ड पर विचार।

भू-राजनीतिक घटनाएँ अल्पकालिक झटके देती हैं, लेकिन साथ ही दीर्घकालिक संरचनात्मक बदलाव (ऊर्जा संक्रमण, रक्षा नीति) को भी तेज़ कर सकती हैं।