ब्याज़ दरें और निवेश
ब्याज़ दरों में बदलाव से बॉन्ड, शेयर और रियल एसेट्स कैसे प्रभावित होते हैं।
सोमवार, 24 अप्रैल 2023
बॉन्ड पर प्रभाव
दरें बढ़ने पर मौजूदा बॉन्ड की कीमतें गिरती हैं; ड्यूरेशन जितनी अधिक, संवेदनशीलता उतनी ही ज्यादा। उल्टा दरें घटने पर कैपिटल गेन मिलता है।
इक्विटी पर प्रभाव
- ब्याज़ दरें ऋण लागत और मूल्यांकन (Discount Rate) दोनों को प्रभावित करती हैं।
- ग्रोथ स्टॉक उच्च दरों पर अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनकी नकदी प्रवाह भविष्य में केन्द्रित होती है।
रियल एसेट्स
रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी परिसंपत्तियाँ ऊँची दरों पर ऋण महँगा होने से दबाव में आ सकती हैं, लेकिन मुद्रास्फीति-संरक्षित राजस्व मॉडल उन्हें सहारा दे सकते हैं।
रणनीति
- पोर्टफोलियो में ड्यूरेशन का प्रबंधन करें।
- दरों की दिशा के अनुसार सेक्टर आवंटन पर पुनर्विचार करें (उदा. उच्च दरों में वित्तीय क्षेत्र लाभान्वित हो सकता है)।
- ब्याज़-दर संवेदनशील परिसंपत्तियों को विविधीकृत कर जोखिम संतुलित करें।